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Wednesday, October 18, 2023

“तलाश” मेरी क़लम से …

गुजरी है करीब से कई बहारे , किसी की महक से ये वजूद महका ही नहीँ ,

न जाने कहाँ है कौन है ओ । जिसकी तलाश मे दर बदर मै भटकता हूँ ,

कही तो ये तलाश ख़त्म होगीं , इस सफ़र की ,जो मंजिलें कहीँ खो गयी है ,

कभी तो मिलेंगी इसी इंतज़ार मे , चिलमन गिराये बैठा हूँ ॥ मै तेरी तलाश मे , हाँ तेरी तलाश मे , हाँ तेरी तलाश मे  ॥

(Written by: सुनील कुमार "सकल")

1 comment:

  1. कहीं तो ये तलाश खत्म होगी.........
    Superb sir🤟👌👍🤙
    That's what is Sunil Bhardwaj Sir😎😎😎😎

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